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डर्टी पाॅलीटिक्स : भंवरी देवी हत्याकांड से प्रेरित फिल्म

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डर्टी पाॅलीटिक्स फिल्म का पोस्टर

डर्टी पाॅलीटिख्स यानि हिन्दी में बोलें तो गंदी राजनीति। फिल्म अपने नाम के अनुरूप ही राजनीति की गंदगी को खुलकर सामने लाती भी है। फिल्म के डायरेक्टर के. सी. बोकाड़िया ने अपनी इस फिल्म के माध्यम से राजनीति की गंदगी को दिखाने की पूरी कोशिश की है और वे कुछ हद तक सफल भी हुए हैं।

सबसे पहले बात करते हैं फिल्म की स्टार कास्ट की। तो आपको बता दें कि निर्देशक के. सी. बोकाङिया ने अपनी इस फिल्म में लगभग आधा दर्जन से ज्यादा स्टार्स को कास्ट किया है। ओम पुरी, मल्लिका शेरावत, अनुपम खेर, नसीरुद्दीन शाह, जैकी श्रॉफ, सुशांत सिंह, राजपाल यादव, गोविन्द नामदेव तथा आशुतोष राणा इस फिल्म के मुख्य कलाकार हैं। निर्देशक के. सी. बोकाडिया लगभग 12 साल के विराम के बाद एक मल्टी स्टारर फिल्म लेकर वापस आए हैं!

मैंने कहीं पढा था कि यह फिल्म भंवरी देवी और राजनेता महिपाल मदेरणा के सेक्स टेप की कॉन्ट्रोवर्सी पर आधारित है। और फिल्म को देखने पर पता चला कि यह खबर बिल्कुल सही है। फिल्म पूरी तरह भंवरी हत्याकांड पर आधारित है।

फिल्म की कहानी :-
फिल्म की कहानी एक मशहूर नर्तकी अनोखी देवी (मल्लिका शेरावत) के इर्द-गिर्द घूमती है। अनोखी देवी फिल्म ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ की केंद्र बिंदु हैं।
अनोखी देवी एक बेहद गरीब घर में पली-बढी लङकी है जिसने बचपन से अपनी माँ को एक-एक पैसे के लिए तरसते देखा है। वह अपनी रोजी-रोटी चलाती नाचती-गाती है।
एक दिन एक कार्यक्रम में मंत्री दीनानाथ (ओम पुरी) अनोखी देवी के ठुमके देखकर उसके दीवाने हो जाते हैं और अनोखी देवी के सेक्रेटरी बन्नाराम (राजपाल यादव) के जरिए उसको मिलने के लिए बुलाते हैं। मंत्री जी उसे बङे-बङे ख्वाब दिखाकर अपनी पार्टी में शामिल कर लेते हैं। अनोखी देवी अपने सपनों को पूरा करने के लिए दीनानाथ के साथ सेक्स करते हुए सब कुछ एक टेप में रिकॉर्ड कर लेती है। इस बात की दीनानाथ को भनक भी नहीं होती है।

विधानसभा के चुनाव आते हैं। दीनानाथ अनोखी देवी को मेङता सीट से चुनाव लङने हेतु टिकट दे देता हैं। यहाँ तक सब-कुछ ठीक चल रहा होता है तभी दीनानाथ की पार्टी का बाहुबली गुण्डा मुख्तियार सिंह (जैकी श्राॅफ) बीच में आ टपकता है। वह भी मेङता सीट से चुनाव लङना चाहता है। अब दीनानाथ न तो अनोखी देवी को मना कर सकता हैं और न ही मुख्तियार सिंह को। सो वह इन दोनों के बीच बुरी तरह फंस जाते हैं। आखिर वह अनोखी देवी से झगङा करके उससे नाता तोङने की कोशिश करता है लेकिन अनोखी देवी सीडी दिखाकर उन्हें और ज्यादा मुश्किल में डाल देती है।

अब दीनानाथ साम दाम दंड भेद सब कुछ लगाकर इस मुश्किल से निकलने की कोशिश करता है। वहीं अनोखी सीडी के दम पर अपने दबाव को कायम रखती है. इस पूरी कवायद में अलग अलग किरदार
अनुपम खेर (सीबीआई आॅफिसर), नसीरुद्दीन शाह (सामाजिक कार्यकर्त्ता), जैकी श्रॉफ (बाहुबली), अतुल कुलकर्णी व सुशांत सिंह (पुलिस वाले) राजपाल यादव (सेक्रेटरी), गोविन्द नामदेव (पुलिस इंस्पेक्टर) और आशुतोष राणा (दीनानाथ का साथी) अपनी-अपनी भूमिकाओं को अंजाम देते हैं। अनोखी देवी के इर्द-गिर्द घूमती हुई फिल्म की कहानी राजनितिक गलियारों के अलग-अलग रंगों को बयान करती है। फिल्म में भ्रष्टाचार और करोड़ों के स्कैम का भी ज़िक्र
किया गया है जिसमें कई नेता लिप्त हैं।

अन्त में अनुपम खेर, जो कि अनोखी देवी के गायब होने संबंधी केस की पङताल कर रहे होते हैं, अनोखी देवी की हत्या कर सबूत मिटाने जैसे कई राज उजागर करते हैं और मुख्तियार सिंह, दीनानाथ तथा उसके साथी को दोषी साबित कर देते हैं। लेकिन जज दीनानाथ का दोस्त है, सो वह दीनानाथ और उसके साथी को छोङ देता है।

तो क्या दीनानाथ और उसके साथी बच जाते हैं? जी नहीं? वे कोर्ट से तो बच जाते हैं लेकिन अपने पापों से नहीं बच पाते हैं। कौन मारता है इन दोनों को? यह जानने के लिए एक बार फिल्म अवश्य देखें।

फिल्म क्यों देखें?
फिल्म में मल्लिका शेरावत के मादक और बोल्ड सीन हैं, और मंजे हुए एक्टर्स की पूरी टीम है।

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डर्टी पाॅलीटिक्स फिल्म की स्टारकास्ट

फिल्म में मल्लिका शेरावत को जिस काम के लिए लिया गया है वह काम उसने अच्छी तरह पूरा किया है यानि खुलकर एक्सपोज। अपने से लगभग दुगुनी उम्र के व्यक्ति (ओमपुरी) के साथ उसने कई बोल्ड सीन दिए हैं। मल्लिका ने बिना किसी झिझक और असहजता के कई सारे इन्टीमेंट सीन्स दिऐ हैं। फिल्म में ओमपुरी ने एक भ्रष्ट नेता का किरदार निभाया है। वहीं आशुतोष राणा भी अपनी भूमिका में जँचे हैं। अनुपम खैर की तो बात ही और है। एक सीबीआई ऑफिसर का किरदार उन्होंने बहुत अच्छी तरह निभाया है। जैकी श्राॅफ भी मुख्तियार सिंह के रूप में अपना रौब और दबदबा बनाऐ रखने में कामयाब रहे हैं। राजपाल यादव, सुशांत सिंह, गोविन्द नामदेव तथा अतुल कुलकर्णी ने भी अपने-अपने हिस्से का काम बहुत अच्छी तरह किया है। कुल मिलाकर एक्टिंग में कोई कमी नहीं है। अगर आप इनके दीवाने हैं तो ये फिल्म ज़रूर देखें। वैसे इस फिल्म को देखने के आपका एडल्ट (वयस्क) होना भी जरूरी है क्योंकि अपशब्दों और बोल्ड सीन्स की अधिकता है।

लेखक : मेघराज रोहलण ‘मुंशी’